महात्मा गांधी
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर मैं हुआ उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो एक धार्मिक महिला थी और पिता का नाम करमचंद गांधी था उनका असली नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था और अपने भाइयो मैं सबसे छोटे थे गाँधी जी की शादी 13 साल की उम्र कस्तुबा से हुआ था जो 14 साल की थी उनके बेटों का नाम हरिलाल, मडिलाल, रामदास, देवदास था
शिक्षा और वकालत
गाँधी जी ने शिक्षा गुजरात के राजकोट में प्राप्त करने के बाद 1887 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की फिर बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए गांधी जी को इंग्लैंड जाने के बाद कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा वे शुद्ध शाकाहारी थे और उन्होंने ने अपनी माता को वचन दिया था की वे मांस का सेवन नहीं करेंगे उन्हें शाकाहारी भोजन ढूंढना एक सबसे बड़ी चुनौती थी कुछ टाइम बाद उनकी मुलाकात शाकाहारी लोगो से हुई इन्ही लोगो ने गांधी जी को भागवत गीता पढ़ना सीखा दिया 1891 मैं वकालत की पढ़ाई करने के बाद वह इंडिया चार साल बाद वापस आये वापस आने के बाद उनकी माता का निधन हो गया फिर उन्हें अफ्रीका के एक व्यापारी अब्दुला का कानूनी सलाहकार बनने का अवसर मिला अफ्रीका आने के बाद उन्हें रंग भेद का सामना करना पड़ा रंग भेद अत्याचारों के खिलाफ गांधी जी ने 1894 में नटाल भारतीय कांग्रेस का गठन किया और इंडियन ओपिनियन अखबार निकालना लगे 1906 में एक आंदोलन शुरू किया, जिसे सत्याग्रह नाम दिया गया
चंपारन आंदोलन
चंपारन 1917 मैं गांधीजी द्वारा चलाया गया ये सत्याग्रह ब्रिटिश लैंडलॉर्ड के खिलाफ चलाया गया था जबरदस्ती अंग्रेज नील की खेती करवाते थे और उसकी खरीद सस्ते दामों पर करते थे किसानों को फसले नहीं उगानें देते थे जिसके कारण किसानो की जमीन ख़राब हो रही थी इसलिए लिए किसानो को भविष्ये की चिंता होने लगी चंपरान बिहार मैं किसान पर अत्याचार का विरोध किया इसके बाद गरीब और किसानो की मांग पूरी की गयी
खेड़ा सत्याग्रह
1918 में गुजरात के खेड़ा में बाढ़ और सूखा पड़ने के कारण उनकी फसल ख़राब हो गयी और उनकी आर्थिक स्थिति पर बहुत असर पड़ा जिस कारण वह कर माफ़ी की मांग कर रहे थे अंग्रेज किसानो की बात नहीं सुन रहे थे और किसानों पर उत्पीड़न किया जा रहा था और और उन्हें बंदी बना लिया जाता था जब हर तरफ से किसान हार गए तो गांधी जी के मार्गदर्शन में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ इस समस्या पर विचार विमर्श के लिए किसानों का नेतृत्व किया, बाद में गरीब और किसानों की मांगों को पूरा किया गया ।
भारत छोड़ो आंदोलन 1942
भारत को आजादी दिलाने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया और भारत से साम्राज्य को समाप्त करना इस आंदोलन में गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया, भारत की आज़ादी के लिए देश के बच्चे, बूढ़े और जवान सभी में जोश और गुस्सा भरा पड़ा था जिससे ब्रिटिश सरकार ने भारत को आजाद करने का फैसला लिया
असहयोग आंदोलन
अंग्रेजों के अत्याचार इसकी मुख्य वजह थी 1919 की घटनाओ से गाँधी जी को बहुत खेद हुआ रौलट एक्ट जिससे प्रशासन को किसी वयक्ति को गिरफ्तार करने और बिना मुक़दमे के बंदीग्रह मैं रखने की अनुमति थी बिर्टिश हाथो मैं एक उचित न्याय मिलना असंभव था इस लिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्रीय के सहयोग को वापस लाने की योजना बनाई और इसी प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरुवात हुई
सविनय अवज्ञा
यहाँ आंदोलन 1930 मैं शुरू किया गया इसका मतलब था बिना हिंसा के सरकारी कानून को तोड़ना जिसकी शुरुआत गाँधी जी ने नमक कानून का उलंघन कर के किया इस लिए इसे नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है इससे दांडी मार्च भी कहा जाता है और दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था
दलित आंदोलन
देश मैं बढ़ते हुए छुआछूत के विरुद्ध गाँधी जी ने आवाज़ उठाई इसके शुरुवात 8 मई 1933 को हुयी यहाँ आंदोलन कई देशे मैं फैल गया था और यह आंदोलन से काफी हद तक छुआछूत खत्म हो गई
हत्या
30 जनवरी 1949 को बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई बाद में गोडसे को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया और 15 नवम्बर 1949 को फाँसी दे दी गयी